Tuesday, 13 August 2024

JAI JAWAN JAI KISAN JAY PYARA HINDUSTAN

एक रचना राष्ट्र को समर्प्रित 


जय जवान जय किसान जय प्यारा हिंदुस्तान


जिन्होंने लड़ झगड़ आजादी दिलवाई वे वीर थे महान

                          जय जवान जय किसान जय प्यारा हिंदुस्तान


पिंगली वेंकैया ने किया राष्ट्र झंडे का निर्माण

तीन रंगो का तिरंगा हमारा बना देश का पहचान

                         जय जवान जय किसान जय प्यारा हिंदुस्तान


चाचा नेहरू, महात्मा गांधी जैसे अनेक वीरो को सलाम

मगर जिन्होंने गोलियां खायी और बरसाई 

ऐसे वीरो को देश का नमन 

जिन्होंने अंग्रेजो का किया काम तमाम

                    जय जवान जय किसान जय प्यारा हिंदुस्तान


तुम मुझे खून दो ये हमारा नारा था

साइमन तुम वापस जाओ वो भगत बहुत प्यारा था

आजाद हिन्द फ़ौज सुभास चंद्र बॉस बनाये थे

आगे चल  बापू  द्वारा नेताजी कहलाये थे

                         जय जवान जय किसान जय प्यारा हिंदुस्तान


देश जब आजाद हुआ तारीख १५ अगस्त था 

अंग्रेज भाग खड़ा हुआ वो दिन हमारा मस्त था

वन्दे मातरम हमारा राष्ट्र गीत हमारी सांस्कृतिक धरोहर दर्शाता है

देश की एकता का प्रतीक जन-गण-मन  हमारा राष्ट्र गान कहलाता है

                                                 जय जवान जय किसान जय प्यारा हिंदुस्तान



       जय हिन्द जय भारत


Wednesday, 21 February 2024

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए

                                    खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए


Dedicated to My Life & My wife On our 1st Marriage Anniversary........



दिल मेरा धड़कता है तुम्हारे लिए

हमेशा मेरा पास रहना अभी नही जीना किसी खास के लिए

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए... 

हर समय संग रहूँगा साया बनके

दूर कभी नही रहूँगा पराया बनके

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए

अपनी सांसो मे बनाये रखना

अपनी सीने से लगाए रखना

दूर ना करना दिल मे बसाये रखना

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए

जिंदगी मे आये हो रोशनी की तरह

मैं संग संग रहूँगा चांदनी की तरह

जब तुम उदास होते हो

रोता है दिल मेरा

बेचैनी मेरी बढ़ जाती है और न होता इंतजार तेरा

मन करता है पास आ जाऊ

धड़कनो मे समा के तेरे रूह में उतर जाऊ

तेरे सासों मे रह जाऊ.....

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए

खूबसूरत गजल है  तुम्हारे लिए..... 

जब तुम मुस्कुराते हो मुस्कान मेरी आ जाती है

जब तुम उदास हो जाते हो तन्हाईया बहुत डराती है

समझ नहीं मुझे आता है मन बहुत घबराता है


सब  कुछ  पास  होके  भी  मै  नहीं रह पाता  हूँ

कितना  अकेला  पड़  जाता  हूँ किसी से  न  कह  पाता  हूँ

खूबसूरत  गजल है तुम्हारे लिए  

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए

होठो पे अपनी मुस्कान बनाये रखना

मै  हमेशा साथ हूँ ये सोच बनाये रखना

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए 

कमजोर न पड़ने दूंगा तुम्हे ये वादा मेरा है

बनाये रखना चेहरे पे मुस्कान ये काम तुम्हारा है

ये काम तुम्हारा है

जिंदगी  को गुलजार कर दो

बना के चेहरे पे अपनी मुस्कान अब हमे आबाद कर दो........अब हमे आबाद कर दो

खूबसूरत  गजल है तुम्हारे लिए  

खूबसूरत गजल है तुम्हारे लिए.......



Wednesday, 13 July 2022

समय का चक्र

 समय बदलता गया जज्बात बदलते गए 

युहीं हम समय के बोझ तले दबते गए


ये ना ही मेरी जिंदगी का अंत था 

ना ही मेरी जवानी का अंत था

ये तो शायद हमारे द्वारा लिखी गयी कहानी का अंत था ...... कहानी का अंत था


जिंदगी का कुछ पता नहीं इंसान कब सब खोता है

तनहा अकेला बैठकर तन्हाई के साथ साथ रोता है

युहीं ना हम लाचार हुए जिंदगी की कुछ मज़बूरी थी

जिसने हमरे सपनो को तोडा कुछ ऐसी मज़बूरी थी........ कुछ ऐसी मजबूरी थी


सच्चाई के पन्नो से पर्दा कौन उठाएगा

दबी हुई ज़ख्मो को बाहर कौन लाएगा

बहते हुए आसुओ को कौन शांत कराएगा

ये समय का चक्र ना जाने हमे कहा ले जायेगा ...... हमे कहा ले जायेगा



Wednesday, 16 February 2022

रास्ते का मुसाफिर

मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला

दिखी मुझे ऐसी भीड़ लगा हो जैसा कोई मेला

मेरे कदम बढ़ने लगे रुकने को ना वे तैयार

मैं भी सोचा देख लू रास्ते का वो मेला

मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला

पास गया तो देखा बच्चों की वो चिख पुकार
लग रहा था जैसा घर में मच गया हो हाहाकार
चल बस था उसका पिता उजर गया था संसार
बच्चों का वो रोना गया मुझे झकझोर
हृदय विदारक हो गई मेरी न दिखी कोई आस
लग रहा था ऐसे मुझे जैसा मैं बन गया जिंदा लाश
जैसे मैं बन गया जिंदा लाश.........
आँखों में आँसू लिए माँ पकड़ बैठी थी कोना
माँ की ममता सुनी पड़ गई देख के बचाओ का रोना
उजर गया था  उसका संसार जिंदगी हो चली बेकार
कौन बसाए उनका संसार....कौन बसाए उनका संसार
मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला

दिखी मुझे ऐसी भीड़ लगा हो जैसा कोई मेला

मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला........


Monday, 27 September 2021

क्या मनुष्य की यही पहचान

 

सड़क किनारे देखीं श्मशान 

भूल को खुद को हुआ हैरान

                            क्या मनुष्य की यही पहचान

दो गज जमीं के लिए लड़ता है

और अंत में यही आकर मरता है

थोड़ी सी तो खुद पे शर्म करो

ले दुनिया वाले आपका नाम 

कुछ तो ऐसी करम करो

 तोड़ देते हो रिश्ते नाते

क्या काम आता है तेरे जाते

भुला कर तुम अपनों को

मारते उनके सपनो को

बनाना चाहते अपनी पहचान

भूल को खुद को हुआ हैरान

               मैं पूछता तुमसे क्या करोगे बना कर अपनी झुठी पहचान

               जब आप गिरो दूसरे की नजरो में

               ख़तम हो जाये आपकी शान

               जीते जी लेते अपनों की जान

सड़क किनारे देखीं श्मशान 

भूल को खुद को हुआ हैरान, हुआ हैरान

             क्या मनुष्य की यही पहचान...

              क्या मनुष्य की यही पहचान!!!!!!!!!!!    

Friday, 19 February 2021

मेरा प्यार मेरे पिता

आज मैं अपनी यह लेखनी अपने पिता को समर्पित करता हूँ  जिन्होंने मुझे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया



पिता के प्यार में , माँ के आँचल के छाव में बढ़ने वाला इंसान हु मैं
उठ गया साया जिसके सर से ऐसा बदनसीब इंसान हु मै
जिस पापा ने नन्हे कदमों को चलना सिखाया
जिसने जिन्दगॆ मे आगे बढ़ना सिखाया.
उस भगवान का जनम दिया हुआ इंसान हु मै
उठा दिया साया मेरा सर से ऐसे भगवान  का
जिंदगी का मारा सुनसान हु मै
कैसे मै  भूल जाऊ प्यार उस भगवान् का
जिसने कभी खाली हाथ होते भी एहसास ना होने दिया
अपनी जिंदगी खाली कर मुझे कभी न रोने दिया
सोचा था कभी मौका मुझे भी मिलेगा पूजने को भगवन को
मै ऐसा बदनसीब न मिला मौका मुझे पूजन को भगवान का
तनहा दिल और तनहा सफ़र है...
जो थे सर पे हाथ रखने वाला
न  जिंदगी में वो हमसफ़र है... 
न  जिंदगी में वो हमसफ़र है
तनहा दिल और तनहा सफ़र है...

तन्हाई मुझे खा जाती है 
जब आपकी याद आती है
आपसे मिलने को मेरी नजरे तरस जाती है
छुप छुप के मै रोता हु 
जब मै तन्हा अकेला सोता हू
पापा अब आप  आ भी जाओ ये जो मेरी आँखों में नमी है
याद दिलाती जैसे जिंदगी में आपकी कमी है
जिंदगी में आपकी कमी है
अब आप आ भी जाओ






Tuesday, 29 December 2020

फुटपाथ का परिंदा

फुटपाथ का परिंदा हूँ

उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
खाने को रोटी नहीं 
ना सर पे कोई साया है
नंगे बदन लेटा हूँ 
ये हमारी काया है
जालिम नजरे ढूंढ रही है 
क्या कोई मुसाफिर बाहर कम्बल लेकर आया है

फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
ये ठण्ड करे परेशान
नहीं है जीने की राह आसान 
भूखे प्यासे बच्चे मेरे 
छोटे उम्र को है नादान

फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
बदन पे मेरे कोई कपडे नहीं चलो ये कोई बात नहीं
बदन पे मेरे कोई कपडे नहीं चलो ये कोई बात नहीं 
ठण्ड से तड़प रहे बच्चो को कोई कपडे दिला दे 
मै पुछु ज़माने से क्या किसी की औकात नहीं??????
क्या किसी की औकात नहीं ?????



Friday, 14 August 2020

देश का प्यार, जय हिन्द जय भारत

 किन - किन ने भारत को किया नहीं परेशान

पर भारत ने नहीं छोड़ा अपना मुस्कान
भारत की धैर्य और साहस से सीखो
किसी भी परिस्थिति में किसी से मत बीको
 चाइना, नेपाल, पाकिस्तान तुम सुन
भारत की मधुर स्वर की धुन
भारत की जयकार की गाथा, विश्व गा रहा
भारत यथावत है और तुम पर काल मडरा रहा 
कोरोना काल में भी आजादी की उमंग देख
चेहरे की मुस्कान और आवाज़ों में दम देख






भारत माता की जय। जय हिन्द जय भारत।

Thursday, 14 May 2020

कोरोना तुम बेकार हो

कोरोना तुम बेकार हो
क्यों आये मेरे  देश में
आपदा के एक भेष में
तुमने हाहाकार मचाया
ना जाने कितने को मौत के घाट सुलाया
तुम्हारी मंसूबो का हमें पता नहीं
लगता तु चीन की एक चाल हैं
मचाया विश्व में हाहाकार हैं
बच्चे बूढ़े हो रहे तेरे शिकार हैं

बच्चो का तुमने बचपन लुटा
जवान का किया शिकार हैं
लोगो को घर में बैठाया
प्राकृतिक को वापस लौटाया
तुम्हारी मंसूबो का पता नहीं
किया हमे बेक़रार है
कोरोना तुम वापस जाओ
बच्चों को बचपना लौटाओ

अब हम हो रह रहे डरे डरे
लगता है हम हो गए मरे मरे
समझ नहीं आता क्या करे करे
अब तुम अपने घर को जाओ
हमारे ऊपर से बंदिशे हटाओ
ये जो तुम्हारा कहर है
लगता है एक जहर है

अब तुम अपने घर को जाओ
अब तुम अपने घर को जाओ
अब तुम हमें आजाद करो
मत हमारी जिंदगी बर्बाद करो


कोरोना तुम बेकार हो
कोरोना तुम बेकार हो..........