आज मैं अपनी यह लेखनी अपने पिता को समर्पित करता हूँ जिन्होंने मुझे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया
पिता के प्यार में , माँ के आँचल के छाव में बढ़ने वाला इंसान हु मैं
उठ गया साया जिसके सर से ऐसा बदनसीब इंसान हु मै
जिस पापा ने नन्हे कदमों को चलना सिखाया
जिसने जिन्दगॆ मे आगे बढ़ना सिखाया.
उस भगवान का जनम दिया हुआ इंसान हु मै
उठा दिया साया मेरा सर से ऐसे भगवान का
जिंदगी का मारा सुनसान हु मै
कैसे मै भूल जाऊ प्यार उस भगवान् का
जिसने कभी खाली हाथ होते भी एहसास ना होने दिया
कैसे मै भूल जाऊ प्यार उस भगवान् का
जिसने कभी खाली हाथ होते भी एहसास ना होने दिया
अपनी जिंदगी खाली कर मुझे कभी न रोने दिया
सोचा था कभी मौका मुझे भी मिलेगा पूजने को भगवन को
मै ऐसा बदनसीब न मिला मौका मुझे पूजन को भगवान का
तनहा दिल और तनहा सफ़र है...
जो थे सर पे हाथ रखने वाला
न जिंदगी में वो हमसफ़र है...
न जिंदगी में वो हमसफ़र है
तनहा दिल और तनहा सफ़र है...
तन्हाई मुझे खा जाती है
जब आपकी याद आती है
आपसे मिलने को मेरी नजरे तरस जाती है
छुप छुप के मै रोता हु
जब मै तन्हा अकेला सोता हू
पापा अब आप आ भी जाओ ये जो मेरी आँखों में नमी है
याद दिलाती जैसे जिंदगी में आपकी कमी है
जिंदगी में आपकी कमी है
अब आप आ भी जाओ
�� Shabdon me sari feelings sameti nhi ja sakti, par han in sabdon se samnhi ja sakti hai.
ReplyDeleteThanx...
DeleteShabdo to sirf baya krti hai
ReplyDeleteGujrati kya hai ye to njre baya krti hai
ReplyDelete👌
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