Wednesday, 13 July 2022

समय का चक्र

 समय बदलता गया जज्बात बदलते गए 

युहीं हम समय के बोझ तले दबते गए


ये ना ही मेरी जिंदगी का अंत था 

ना ही मेरी जवानी का अंत था

ये तो शायद हमारे द्वारा लिखी गयी कहानी का अंत था ...... कहानी का अंत था


जिंदगी का कुछ पता नहीं इंसान कब सब खोता है

तनहा अकेला बैठकर तन्हाई के साथ साथ रोता है

युहीं ना हम लाचार हुए जिंदगी की कुछ मज़बूरी थी

जिसने हमरे सपनो को तोडा कुछ ऐसी मज़बूरी थी........ कुछ ऐसी मजबूरी थी


सच्चाई के पन्नो से पर्दा कौन उठाएगा

दबी हुई ज़ख्मो को बाहर कौन लाएगा

बहते हुए आसुओ को कौन शांत कराएगा

ये समय का चक्र ना जाने हमे कहा ले जायेगा ...... हमे कहा ले जायेगा



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