Wednesday, 13 July 2022

समय का चक्र

 समय बदलता गया जज्बात बदलते गए 

युहीं हम समय के बोझ तले दबते गए


ये ना ही मेरी जिंदगी का अंत था 

ना ही मेरी जवानी का अंत था

ये तो शायद हमारे द्वारा लिखी गयी कहानी का अंत था ...... कहानी का अंत था


जिंदगी का कुछ पता नहीं इंसान कब सब खोता है

तनहा अकेला बैठकर तन्हाई के साथ साथ रोता है

युहीं ना हम लाचार हुए जिंदगी की कुछ मज़बूरी थी

जिसने हमरे सपनो को तोडा कुछ ऐसी मज़बूरी थी........ कुछ ऐसी मजबूरी थी


सच्चाई के पन्नो से पर्दा कौन उठाएगा

दबी हुई ज़ख्मो को बाहर कौन लाएगा

बहते हुए आसुओ को कौन शांत कराएगा

ये समय का चक्र ना जाने हमे कहा ले जायेगा ...... हमे कहा ले जायेगा



Wednesday, 16 February 2022

रास्ते का मुसाफिर

मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला

दिखी मुझे ऐसी भीड़ लगा हो जैसा कोई मेला

मेरे कदम बढ़ने लगे रुकने को ना वे तैयार

मैं भी सोचा देख लू रास्ते का वो मेला

मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला

पास गया तो देखा बच्चों की वो चिख पुकार
लग रहा था जैसा घर में मच गया हो हाहाकार
चल बस था उसका पिता उजर गया था संसार
बच्चों का वो रोना गया मुझे झकझोर
हृदय विदारक हो गई मेरी न दिखी कोई आस
लग रहा था ऐसे मुझे जैसा मैं बन गया जिंदा लाश
जैसे मैं बन गया जिंदा लाश.........
आँखों में आँसू लिए माँ पकड़ बैठी थी कोना
माँ की ममता सुनी पड़ गई देख के बचाओ का रोना
उजर गया था  उसका संसार जिंदगी हो चली बेकार
कौन बसाए उनका संसार....कौन बसाए उनका संसार
मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला

दिखी मुझे ऐसी भीड़ लगा हो जैसा कोई मेला

मैं रास्ते का मुसाफिर चल रहा था अकेला........