Friday, 30 March 2018

दुनिया इतनी बेबफा क्यूँ हैं

ऐ जिंदगी तू मुझसे खफा क्यूँ हैं
ये दुनिया इतनी बेबफा क्यूँ हैं

यूँ तो इस दुनिया में हर कोई मगरूर हैं
मगर ना जाने क्यूँ खुद पे इतना गरूर हैं
ये जिंदगी जाना तो हर किसी को जरूर है
अब तू ही बता इन मिट्टी के पुतलों  में
क्यूँ इतना गरूर हैं ....... क्यूँ इतना गरूर हैं

कभी गरूर के नशे से उतर कर देख ऐ मुसाफिर
तू इस बेबफा दुनिया में खुद को कहाँ पायेगा
ना तेरा धन काम आएगा न तेरा दौलत काम आएगा
तूने जो वफ़ा  की दुनिया की साथ .... सिर्फ और सिर्फ वो वफ़ा काम आएगा

समय के साथ चलना सिख ऐ मुसाफिर
समय तुझे बताएगा कौन तेरा अपना है कौन तेरा पराया
क्युकी तेरे  बुरे समय में तेरा अपना काम आया न बल्कि पराया
अब तू ही बता इस मगरूर दुनिया में जिंदगी खफा क्यूँ हैं

बता मुझे ऐ मुसाफिर तू क्यूँ पड़ा है दौलत के चक्कर में
जा के क्यूँ नहीं जीता  अपनी जिंदगी कोई नहीं रहेगा तेरे टक्कर में
तू तो दौलत पाके बहुत बड़ा हो जायेगा
खुद को बहुत ही खफा पायेगा .....तू भी औरों की तरह बेवफा हो जायेगा 

बता मुझे मुसाफिर जिंदगी मुझसे खफा क्यूँ हैं

ये दुनिया इतनी बेबफा क्यूँ हैं......... बेबफा क्यूँ हैं.

                                      

                                                                                                                              (PRINCE)



Wednesday, 3 January 2018

मिज़ाजे ठंड...... अंदाज़ हमारा

मिज़ाजे ठंड अंदाज़ हैं हमारा
पंखा चलाते ही
टाक पे बर्फ
जम जाता है तुम्हारा
मिज़ाजे ठंड अंदाज़ हैं हमारा

ये जो ठंड की शीतलहरी है
इसकी चुभन बहुत गहरी है
ये जो दिसंबर की रातें हैं
कहना चाहती बहुत सी  बातें हैं
संभल जाओ ऐ राहगीर
ये वक़्त नहीं तुम्हारा है
मिज़ाजे ठंड अंदाज़ हमारा हैं

मत करो हमसे उलझने की भूल
वर्ना बन जाओगे किसी रास्ते की धूल
मिट  जाना वजूद  तुम्हारा है
मिज़ाजे ठंड अंदाज़ हमारा हैं। .......

बार बार कह रहा हूँ
मत आना कभी भी जोश में
ले लूंगा ठंड  की आगोश में
ये दिसंबर माह हमारा है
ये वक़्त नहीं तुम्हारा है
मिज़ाजे ठंड अंदाज़ हमारा हैं ......... अंदाज़ हमारा है........  अंदाज़ हमारा है......
                                           

सुन ऐ दिसंबर माह 
भले ही तू बंद कर मेरा  राह 
चीर के इस ठंड को 
मै बनाऊंगा अपना राह 
मुझे अब तुझसे टकराना है 
नहीं इस ठंड से घबराना हैं 
ये वक़्त भी हमारा हैं 
मिज़ाजे ठंड अंदाज़ भी हमारा है....... अंदाज़ भी हमारा है.......अंदाज़ भी हमारा है.......