Sunday, 20 August 2017

क्यू बदल गया रे इंसान

क्यू बदल गया रे इंसान 
क्यू खो दी तूने अपनी पहचान 
क्या ऐसी जरुरत पड़ी जो 
तू बन गया हैवान..... 
क्यू बदल गया रे इंसान। ..... 

अपने पराये का भेद किया 
अपनों को तूने लटकाया 
क्यू बदल गया इंसान 
क्यू बदल गया रे इंसान 

माँ की ममता को तूने खोया 
खोया तूने पिता  का प्यार 
सब जगह से जीत गया तू  
गया तू अपनों से हार 
ख़त्म हुआ तेरा अभिमान 
क्यू बदल गया रे इंसान

समय के साथ बदल गया तू 
सारे  रिश्तो को तोड़ गया तू 
खो दी तूने अपनी पहचान 
क्यू बन  बैठा तू हैवान 
क्यू बदल गया रे इंसान 

सूरज न बदला चाँद न बदला 
न बदला रे आसमान 
फिर तू खुद को सोच 
क्यू बदल गया रे इंसान 

मान के गलती अब  तो आजा 
तेरी इंसानियत अभी जिन्दा है 
देख के तेरे कुकर्मो  को 
सारा समाज शर्मिंदा है 

क्यू बदल गया रे इंसान 
क्यू बदल गया रे इंसान 

अपने कुकर्मो का शमशान बना दे 
कुछ तो अपनी पहचान बना  ले 
वापस तू घर को आजा 
करा दे अपनी यादें ताज़ा 
माँ पिता  का स्वाभिमान लौटा दे 
अपनी तो पहचान बना ले 
अपनी तो पहचान बना ले...........   

                       



Monday, 14 August 2017

THAKUR PRINCE SINGH: BACHPAN KI YADE

THAKUR PRINCE SINGH: BACHPAN KI YADE: सावन का मौसम खत्म  हुआ है भादो का मौसम आया है भादो का मौसम आया है अपने संग कीचड़ लाया है ऊपर वाला बरस रहा है जैसे असीमित उसके पास पान...

Saturday, 12 August 2017

BACHPAN KI YADE

सावन का मौसम खत्म  हुआ है
भादो का मौसम आया है

भादो का मौसम आया है
अपने संग कीचड़ लाया है

ऊपर वाला बरस रहा है
जैसे असीमित उसके पास पानी हो
मानो फिर  से चढ़ी जवानी हो
फिर से चढ़ी  जवानी हो। ....

ऊपर वाले के मस्ती को देख के
मन मेरा ललचाया है
भूल बैठा जवानी को
लगा फिर से बचपन लौट आया है

वो कागज की कश्ती थी
वो पानी का किनारा था
जिसे देख मस्ती की
वो बचपना भी हमारा था

वो हमरी टोलिया थी
जो गलिओ में चिल्लाते थे
और बरस तू और बरस
जिसे देख मम्मी पापा दौड़े आते थे
फिर हम डर  से भाग जाते थे

जब पढ़ने का मन न हुआ
हम खुले आसमान नहाते थे
तबियत ख़राब हो जाने से
फिर कही न जाते थे

मां रोज सुबह शाम ख्याल रखती
पापा पास आते थे
बेटे तुम्हारी तबियत कैसी
कह के पास बैठ जाते थे
           कह के पास बैठ जाते थे........

बचपना गुजरा जवानी आयी
घर से निकलने की बारी  आयी
घर छोड़ा माँ बाप छोड़ा
भाई बहन का  प्यार छोड़ा

अब पलट के बचपन देखा
माँ पिता  की याद आयी
माँ पिता  की याद आयी

कोई हमारा बचपना लौट दो
माँ पिता को पास बुला दो
माँ पिता को पास बुला दो.......

सावन का मौसम खत्म  हुआ है
भादो का मौसम आया है

भादो का मौसम आया है
अपने संग कीचड़ लाया है।
                 


                                   




Tuesday, 27 June 2017

दोस्तों तुम फिर कब मिलोगे। ....

दोस्तों तुम फिर कब मिलोगे। .... 

आ जाओ संग बैठ के फिर से मज़ा पीते है 

आ जाओ फिर से पुराने अंदाज़ में जीते है 

दोस्तों तुम फिर कब मिलोगे। .... 

यादे छोड़कर चले गये 
दिल को तोड़ के चले गये 
चाय की चुस्की लेते ही 
यादे तुम्हारी आती है 
दोस्तों तुम फिर कब मिलोगे। ....

फिर से आओ बाइक लाओ 
हवा में लहराते है 
दुश्मनों को जलाते हैं 
एक दूजे से आगे जाते है 
दोस्तों तुम फिर कब मिलोगे। .... 

पल पल यादें करता हूँ 
साथ घूमने को तरसता हूँ 
तुम सारे चले आओ बैठ के मज़ा पीते है 
आ जाओ फिर से पुराने अंदाज़ में जीते है 

दोस्तों तुम फिर कब मिलोगे। .... 













Sunday, 25 June 2017

MY LOVE MY FATHER

पापा आप कहा चले गये ; दुनिया  में तनहा छोड़ के....

देख लो हाल मेरा बुरा है रो रो के.....
पापा आप कहा चले गए तनहा अकेले छोड़ के.....
याद आपकी आती है आँखे मेरी भर जाती  है
सारी  रात यादें आपकी हमें जगाती  है
पापा आप कहाँ चले गए ; दुनिया  में तनहा छोड़ के.....

देख के माँ के माथे पे चिंता की लकीरे

देखा तो आँखें उनकी भर आती है... आपकी याद हमें जगाती  है

पापा आप कहा चले गए ; दुनिया  में तनहा छोड़ के....
जब हम छोटे बच्चे थे हाथ पकड़  चलना सिखाया
जब हम छोटे बच्चे थे अपने  हाथो से खिलाया..
हमारी मुसीबतों को अपने हँसते हँसते गले लगाया
पापा आप कहा चले गए ; दुनिया  में तनहा छोड़ के....
जब हम स्कूल  जाते थे छोड़ने आप आते थे
स्कूल के छूटते ही हमें लेने आप आते थे

कहाँ गए वो सुकून के दिन  कहाँ गयी वो रात
जब आप हमारे साथ थे ....  जब आप हमारे साथ थे
पापा आप कहा चले गए तनहा अकेले छोड़ के.....
याद आपकी आती है आँखे मेरी भर जाती  है. ...... 

 


Saturday, 24 June 2017

EK MERA PYAR........

खोये हम उनकी याद में इस कदर
अब हमें नहीं रही हमारी भी खबर। ......
ये तो उनका था हमारी गलिओ में आना
नजरे मिलाना नजरे मिला के भाग जाना

खोये हम उनकी याद में इस कदर
अब हमें नहीं रही हमारी भी खबर........
देख की उनकी चहेरे को
उनकी चहेरे की जो खिली  मुस्कान
भुला के हम अपनी पहचान
लगा देते थे बस उन पर ध्यान

खोये हम उनकी याद में इस कदर
अब हमें भी नहीं रही हमरी खबर.......