क्यू बदल गया रे इंसान
क्यू खो दी तूने अपनी पहचान
क्या ऐसी जरुरत पड़ी जो
तू बन गया हैवान.....
क्यू बदल गया रे इंसान। .....
अपने पराये का भेद किया
अपनों को तूने लटकाया
क्यू बदल गया इंसान
क्यू बदल गया रे इंसान
माँ की ममता को तूने खोया
खोया तूने पिता का प्यार
सब जगह से जीत गया तू
गया तू अपनों से हार
ख़त्म हुआ तेरा अभिमान
क्यू बदल गया रे इंसान
समय के साथ बदल गया तू
सारे रिश्तो को तोड़ गया तू
खो दी तूने अपनी पहचान
क्यू बन बैठा तू हैवान
क्यू बदल गया रे इंसान
सूरज न बदला चाँद न बदला
न बदला रे आसमान
फिर तू खुद को सोच
क्यू बदल गया रे इंसान
मान के गलती अब तो आजा
तेरी इंसानियत अभी जिन्दा है
देख के तेरे कुकर्मो को
सारा समाज शर्मिंदा है
क्यू बदल गया रे इंसान
क्यू बदल गया रे इंसान
अपने कुकर्मो का शमशान बना दे
कुछ तो अपनी पहचान बना ले
वापस तू घर को आजा
करा दे अपनी यादें ताज़ा
माँ पिता का स्वाभिमान लौटा दे
अपनी तो पहचान बना ले
अपनी तो पहचान बना ले...........