Saturday, 12 August 2017

BACHPAN KI YADE

सावन का मौसम खत्म  हुआ है
भादो का मौसम आया है

भादो का मौसम आया है
अपने संग कीचड़ लाया है

ऊपर वाला बरस रहा है
जैसे असीमित उसके पास पानी हो
मानो फिर  से चढ़ी जवानी हो
फिर से चढ़ी  जवानी हो। ....

ऊपर वाले के मस्ती को देख के
मन मेरा ललचाया है
भूल बैठा जवानी को
लगा फिर से बचपन लौट आया है

वो कागज की कश्ती थी
वो पानी का किनारा था
जिसे देख मस्ती की
वो बचपना भी हमारा था

वो हमरी टोलिया थी
जो गलिओ में चिल्लाते थे
और बरस तू और बरस
जिसे देख मम्मी पापा दौड़े आते थे
फिर हम डर  से भाग जाते थे

जब पढ़ने का मन न हुआ
हम खुले आसमान नहाते थे
तबियत ख़राब हो जाने से
फिर कही न जाते थे

मां रोज सुबह शाम ख्याल रखती
पापा पास आते थे
बेटे तुम्हारी तबियत कैसी
कह के पास बैठ जाते थे
           कह के पास बैठ जाते थे........

बचपना गुजरा जवानी आयी
घर से निकलने की बारी  आयी
घर छोड़ा माँ बाप छोड़ा
भाई बहन का  प्यार छोड़ा

अब पलट के बचपन देखा
माँ पिता  की याद आयी
माँ पिता  की याद आयी

कोई हमारा बचपना लौट दो
माँ पिता को पास बुला दो
माँ पिता को पास बुला दो.......

सावन का मौसम खत्म  हुआ है
भादो का मौसम आया है

भादो का मौसम आया है
अपने संग कीचड़ लाया है।
                 


                                   




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