Tuesday, 29 December 2020

फुटपाथ का परिंदा

फुटपाथ का परिंदा हूँ

उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
खाने को रोटी नहीं 
ना सर पे कोई साया है
नंगे बदन लेटा हूँ 
ये हमारी काया है
जालिम नजरे ढूंढ रही है 
क्या कोई मुसाफिर बाहर कम्बल लेकर आया है

फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
ये ठण्ड करे परेशान
नहीं है जीने की राह आसान 
भूखे प्यासे बच्चे मेरे 
छोटे उम्र को है नादान

फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
बदन पे मेरे कोई कपडे नहीं चलो ये कोई बात नहीं
बदन पे मेरे कोई कपडे नहीं चलो ये कोई बात नहीं 
ठण्ड से तड़प रहे बच्चो को कोई कपडे दिला दे 
मै पुछु ज़माने से क्या किसी की औकात नहीं??????
क्या किसी की औकात नहीं ?????