फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
खाने को रोटी नहीं
ना सर पे कोई साया है
नंगे बदन लेटा हूँ
ये हमारी काया है
जालिम नजरे ढूंढ रही है
क्या कोई मुसाफिर बाहर कम्बल लेकर आया है
फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
ये ठण्ड करे परेशान
नहीं है जीने की राह आसान
भूखे प्यासे बच्चे मेरे
छोटे उम्र को है नादान
फुटपाथ का परिंदा हूँ
उपरवाले का खुशकिस्मती है की मै जिन्दा हूँ
बदन पे मेरे कोई कपडे नहीं चलो ये कोई बात नहीं
बदन पे मेरे कोई कपडे नहीं चलो ये कोई बात नहीं
ठण्ड से तड़प रहे बच्चो को कोई कपडे दिला दे
मै पुछु ज़माने से क्या किसी की औकात नहीं??????
क्या किसी की औकात नहीं ?????